पिछले दिनों केन्द्र सरकार के वित्त राज्य मंत्री द्वारा लोक सभा में आयकर संग्रहण संबंधित जो आंकड़े पेश किए गए, वे दर्शाते हैं कि आयकर कलेक्शन आशानुरूप नहीं हो पाया है.
जहां नेट आयकर कलेक्शन वित्तीय वर्ष २०२०-२१ में ६ लाख करोड़ रुपए था, वर्ष २०२१-२२ में ८ लाख करोड़ रुपए, वर्ष २०२२-२३ में १० लाख करोड़ रुपए तो वर्ष २०२४-२५ में अब तक लगभग ११ लाख करोड़ रुपए ही हो पाया है। जबकि वर्ष २०२४-२५ के लिए सरकार का एस्टीमेट लगभग १२.५० लाख करोड़ रुपए के आयकर संग्रहण का था.
वहीं दूसरी ओर वित्त राज्य मंत्री द्वारा बताया गया कि आयकर सर्वे जहां वर्ष २०२१-२२ में १००० हुए थे, वर्ष २०२२-२३ में करीब ११०० एवं २०२३-२४ में ७५० हुए थे और वर्ष २०२४-२५ में कार्यवाही जारी है।
टैक्स कलेक्शन में आशानुरूप वृद्धि न हो पाना जहां अर्थव्यवस्था में ठहराव को दर्शाता है वहीं दूसरी ओर टैक्स नीति भी बदलाव चाहती है। लेकिन एक बात तो तय लगती है कि जनवरी २५ में सरकार का पूरा जोर बजट से पहले टैक्स कलेक्शन के आंकड़े को दुरुस्त करने का होगा, फिर वो चाहे किताबों में ही क्यों न हो!
*ऐसा प्रतीत होता है कि जनवरी २५ में पूरे देश भर में आयकर सर्वे और सर्च जोरों पर चलेगा और ऐसे में हर बड़े व्यापारी को सतर्क रहना होगा क्योंकि अक्सर ईमानदार व्यापारी कागजातों में कमी के कारण परेशानी में फंस जाता है।*
*तो सलाह यही है कि नया साल २०२५ की अच्छी शुरुआत के लिए हर व्यापारी अपने कागजातों को पुख्ता रखें और अपने सभी निवेश एवं लेन-देन की जानकारी किताबों में दर्शायें।*
*सीए अनिल अग्रवाल