National Breaking: वैश्वेसिक नातेदारी अर्थात आरटीआई की धारा 8(1)(ई) पर आयोजित हुआ 109 वां राष्ट्रीय वेबिनार // वैश्वेसिक नातेदारी बताक़र जानकारी देने से मना नहीं किया जा सकता शैलेश गांधी // अपील तक ना जाना पड़े इसके लिए लोक सूचना अधिकारी स्तर पर लोकहित बताकर जानकारी प्राप्त की जा सकती है आत्मदीप //
दिनांक 24 जुलाई 2022 रीवा मध्य प्रदेश,
सूचना के अधिकार कानून में अमूमन जानकारी देने से मना करने के लिए लोक सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के द्वारा धारा 8, 9 और 11 का हवाला दिया जाता है। इसी श्रृंखला में धारा 8(1)(ई ) में जब कोई जानकारी नहीं देना होता तो लोक सूचना अधिकारी वैश्वेसिक नातेदारी बता कर जानकारी देने से मना कर देते हैं। ऐसे ही एक मामले में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कुल 10 मामलों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मामले पर जानकारी सार्वजनिक करने के लिए आदेश दिया था लेकिन इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया और मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट की रिवीजन बेंच में चल रहा है।
वैश्वेसिक नातेदारी कह कर जानकारी देने से मना नहीं किया जा सकता – शैलेश गांधी
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कार्यक्रम में बताया की फ़ेडयूसरी रिलेशनशिप अर्थात वैश्वेसिक नातेदारी बता कर लोक सूचना अधिकारी जानकारी देने से मना नहीं कर सकते। कुछ जानकारियां ऐसी होती है जिन्हें नहीं दिया जा सकता लेकिन आज शासन और प्रशासन स्तर पर माग की जाने वाली 99 प्रतिशत जानकारी देने योग्य होती है और उसे पब्लिक पोर्टल पर रखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि अपवाद लागू नहीं होते तो जानकारी प्राप्त करने के लिए लोकहित भी बताया जाना आवश्यक नहीं है। क्योंकि लोकहित को साबित करना काफी मुश्किल काम होता है। पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कहा कि ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन बोलने और लिखने के लिए भी हमें परमिशन लेनी पड़ेगी जो कि लोकतंत्र के लिए खतरा है।
धारा 2(जे)(3) के तहत किसी कार्य का सैंपल लिया जा सकता है – सूचना आयुक्त राहुल सिंह
रीवा से एक आरटीआई आवेदक पुष्पराज तिवारी के द्वारा पूछे जाने पर कि उन्होंने आरटीआई लगाया था जिस पर सूचना आयोग का सैंपल देने के लिए आदेश हुआ था परंतु अधिकारी अभी भी घुमा फिरा रहे हैं इस पर मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा की धारा 2(जे)(3) के तहत सैंपल दिया जाना चाहिए और यदि आयोग के आदेश की अवमानना हो रही है तो धारा 18 की शिकायत आयोग में करें जिस पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। वैश्वेसिक नातेदारी विषय पर राहुल सिंह ने कहा कि हमारे पास जो भी आवेदन आते हैं उन पर वह अधिक से अधिक जानकारी दिलवाने का प्रयास करते हैं और लोक सूचना अधिकारियों के ऊपर गलत तरीके से जानकारी छुपाए जाने पर पेनाल्टी लगाई जा रही है।
यदि लोकहित साबित न हो तो लोक सूचना अधिकारी जानकारी देने से मना कर सकता है – अजय कुमार उप्रेती
आरटीआई कानून की धारा 8(1)(ई) विषय पर वैश्वेसिक नातेदारी के प्रश्न पर उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने बताया कि कई बार काफी निजी किश्म की जानकारी मांगी जाती है जिसमें इनकम टैक्स रिटर्न और बैंक की निजी जानकारी होती है ऐसी जानकारी लोक सूचना अधिकारी देने के लिए बाध्य नहीं होते हैं। इसलिए जब तक ऐसे मामलों में व्यापक लोकहित प्रदर्शित न किया जाए अथवा कोई भ्रष्टाचार अथवा अन्य मामला प्रदर्शित न हो तब तक इस प्रकार की जानकारी देना उचित नहीं रहता क्योंकि किसी व्यक्ति के इनकम टैक्स रिटर्न और फाइनेंशियल बैंक की निजी जानकारी का दुरुपयोग भी किया जा सकता है और वह उसकी निजता के हनन की श्रेणी में आता है। इसी प्रकार डॉक्टर और मरीज के विषय की भी जानकारी उनके दवाई के प्रिसक्रिप्शन एवं मेडिकल हिस्ट्री भी धारा 8(1)(ई) के तहत लोक सूचना अधिकारी देने से मना कर सकता है।
यदि जानकारी देने से मना किया जा रहा है तो लोकहित प्रदर्शित किया जाना चाहिए – आत्मदीप
वेबीनार के अगले चरण में पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने बताया कि कई बार अपील की प्रक्रिया से गुजरने से बेहतर होता है कि लोक सूचना अधिकारी के स्तर पर ही आवेदकों को लोकहित बता देना चाहिए जिससे जानकारी प्राप्त करने में आसानी रहे और अपील से बचें। हालांकि कुछ पार्टिसिपेंट्स ने यह भी कहा कि लोकहित बताकर उसे सिद्ध करना काफी मुश्किल कार्य होता है लेकिन पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने बताया कि अपना पक्ष रखने में कोई हर्ज नहीं है और अपना पक्ष तर्क सम्मत तरीके से रखना चाहिए।
इस प्रकार कार्यक्रम में संपूर्ण देश से पचासों आरटीआई कार्यकर्ता, आवेदक और पार्टिसिपेंट्स ने हिस्सा लिया और अपने अपने प्रश्न रखें और उनके जवाब पाए।
कार्यक्रम में उत्तराखंड से आरटीआई रिसोर्स पर्सन वीरेंद्र कुमार ठक्कर, जबलपुर मध्य प्रदेश से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, उत्तर प्रदेश से आलोक कुमार सिंह, छत्तीसगढ़ से देवेंद्र अग्रवाल सहित अन्य कई पार्टिसिपेंट्स ने अपने विचार रखे।
राष्ट्रीय स्तर के 109 वें सूचना के अधिकार वेबीनार कार्यक्रम का संचालन एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी, पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह और अन्य सहयोगियों के द्वारा किया गया।