धनतेरस और दिवाली पर तो भारत में सोने की खरीदी का लेवल ही अलग होता है। इस बार धनतेरस पर भी सोने की जमकर खरीद होने का अनुमान है।
फिलहाल सोने की कीमत भी 46000-47000 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच चल रही है।
अगर आप हर धनतेरस पर सोने की खरीद करने वालों में से हैं या फिर एक बार में ही मोटी खरीदारी करने वाले हैं तो जरा ठहरें।
पहले यह जान लें कि आयकर नियमों के मुताबिक आम आदमी घर में कितना सोना रख सकता है और पांच मुख्य बिन्दुओं पर गौर फरमाएं:
1. क्या कहता है नियम:
आयकर नियमों के अनुसार, अगर कोई गोल्ड कहां से आया है, इसका वैलिड सोर्स व प्रूफ देता है तो वह घर में जितनी मर्जी उतना सोना रख सकता है।
लेकिन अगर कोई बिना इनकम सोर्स बताए घर में सोना रखना चाहता है तो इसकी एक लिमिट है।
नियमों के तहत विवाहित महिला घर में 500 ग्राम, अविवाहित महिला 250 ग्राम और पुरुष केवल 100 ग्राम सोना बिना इनकम प्रूफ दिए भी रख सकते हैं।
तीनों कैटेगरी में तय सीमा में सोना घर में रखने पर आयकर विभाग सोने के आभूषण जब्त नहीं करेगा।
2. अगर लिमिट से ज्यादा रख लिया सोना तो:
अगर अलग-अलग कैटेगरी के लोगों के लिए तय सीमा से अधिक सोना घर में रखा जाता है तो व्यक्ति को इनकम प्रूफ देना होगा।
सोना कहां से आया, यह सबूत के साथ आयकर विभाग को बताना होगा।
सीबीडीटी ने 1 दिसंबर 2016 को एक बयान जारी कर स्पष्ट किया था कि अगर किसी नागरिक के पास विरासत में मिले गोल्ड समेत, उसके पास उपलब्ध सोने का वैलिड सोर्स है और वह इसका प्रमाण दे सकता है तो नागरिक कितनी भी गोल्ड ज्वैलरी व ऑर्नामेंट्स रख सकता है।
3. आयकर रिटर्न में देनी होती है डिटेल:
अगर किसी व्यक्ति की कर योग्य सालाना आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है तो उसे आयकर रिटर्न में आभूषणों और उनकी वैल्यू का ब्यौरा भरना होता है।
याद रहे आयकर रिटर्न में आभूषणों की घोषित वैल्यू और उनकी वास्तविक वैल्यू में कोई अंतर नहीं होना चाहिए, वर्ना इसका कारण बताना होगा।
4. गिफ्ट या विरासत में मिला सोना टैक्सेबल नहीं:
अगर किसी को गिफ्ट के तौर पर 50000 रुपये से कम की गोल्ड ज्वैलरी मिलती है या विरासत/वसीयत में गोल्ड, गोल्ड ज्वैलरी व ऑर्नामेंट्स मिले हैं तो वे टैक्सेबल नहीं हैं।
लेकिन ऐसे मामले में भी साबित करना होगा कि यह सोना गिफ्टेड है या विरासत में मिला है।
अगर वसीयत या विरासत में सोना मिला है तो फैमिली सेटलमेंट एग्रीमेंट, वसीयत या गोल्ड तोहफे के रूप में ट्रांसफर करने का एग्रीमेंट आदि प्रूफ काम आ सकते हैं।
वहीं अगर गोल्ड गिफ्टेड है तो जिसने दिया है उसके नाम पर रसीद जैसी डिटेल्स काम आ सकती हैं।
5. फिजिकल गोल्ड की खरीद और बिक्री पर टैक्स का नियम
फिजिकल गोल्ड की खरीद पर 3 फीसदी जीएसटी देय है।
अब बात करते हैं फिजिकल गोल्ड की बिक्री पर टैक्स की।
ग्राहक द्वारा फिजिकल गोल्ड बेचने पर टैक्स देनदारी इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कितने समय तक इन्हें अपने पास रखा है।
अगर गोल्ड को खरीदी की तारीख से तीन साल के भीतर बेचा जाता है तो इससे हुए किसी भी फायदे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इसे आपकी सालाना इनकम में जोड़ते हुए एप्लिकेबल इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाएगी।
इसके उलट अगर आप तीन साल के बाद गोल्ड बेचने का फैसला करते हैं तो इससे प्राप्त हुई धनराशि को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा और इस पर 20 फीसदी की टैक्स देनदारी बनेगी। साथ ही इंडेक्सेशन बेनिफिट्स क साथ 4 फीसदी सेस और सरचार्ज भी लगेगा।
संकलन: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर