डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल संसोधन से भ्रष्टाचार को बढ़ावा

 

सरकार ने प्रस्तावित डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के माध्यम से आरटीआई कानून में संसोधन करना चाह रही है जो आगे आने वाले समय में खतरनाक हो सकता है। प्रस्तावित डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के माध्यम से सूचना का अधिकार कानून 2005 में बदलाव करने प्रस्तावित किया जाने वाला मसौदा आमजनता के साथ मीडिया के लोगों के लिए भी काफी खतरनाक हो सकता है।
ज्ञात हो कि देश में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू है जिसके माध्यम से आमजनता निर्बाध रूप से किसी भी कार्यालय से संबंधित जानकारी प्राप्त कर रही है। लेकिन अब सरकार डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 मसौदे में धारा 2, धारा 29(2) और धारा 30 (2) में जो प्रावधान रखे गए हैं उससे आरटीआई कानून पर खतरा है। DPDP बिल 2022 की धारा 2 की उप धारा 12, 13 एवं 14 में पर्सनल डाटा की जो भी परिभाषा बताई गई है उसमें न केवल व्यक्ति की जानकारी बल्कि पूरे राज्य, कंपनी अथवा किसी संस्था के भी जानकारी सम्मिलित है जबकि धारा 29(2) में डाटा प्रोटेक्शन बिल को अब तक के बताए गए समस्त कानूनों में सर्वोपरि बताया गया है। इसी प्रकार धारा 30(2) में आरटीआई कानून की धारा 8(1) (जे) पूरी तरह से हटा दिया गया है। यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में आम जनमानस को निजता/ व्यक्तिगत जानकारी के नाम पर लोकहित कर और सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार संबंधित कोई भी जानकारी नहीं मिलेगी यह बात आरटीआई कार्यकर्ता डिग्री लाल सिदार ने कही।

*प्रस्तावित डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 से भ्रष्टाचारियों के हौसले होंगे बुलंद:- डिग्री लाल सिदार*

आरटीआई कार्यकर्ता डिग्री लाल सिदार ने कहा सरकार के द्वारा प्रस्तावित डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के माध्यम से आरटीआई कानून में संसोधन से देश में भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों में वृद्धि होने की संभावना है। अभी वर्तमान में आरटीआई 2005 लागू है जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति निर्धारित शुल्क लगाकर किसी भी विभाग की जानकारी प्राप्त
कर लेता है और संबंधित कार्यालय को भी इसके राहत निर्धारित तिथि में जानकारी देना बाध्य था लेकिन प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के मसौदे के अनुसार आरटीआई कानून में संसोधन किया जाना संभावित है जो कि आमजनता और मीडिया के लिए घातक सिद्ध होगा।
इस बिल के विरोध में आरटीआई कार्यकर्ता डिग्री लाल सिदार ने इस बिल के विरोध में माननीय प्रधानमंत्री महोदय के नाम ज्ञापन भेजा है। ताकि आरटीआई कानून 2005 यथावत रहे। जिससे आमजन और मीडिया शासन की योजनाओं में पारदर्शिता लाने कार्य कर सके।

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