जलवायु परिवर्तन को लेकर कई देश आपस में क्लाइमेट सिमट कर रहे हैं। दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग से बचाया जाए इसके लिए फंड इकट्ठा किया जा रहा है। मगर जो मानवीय गतिविधियां हैं, जिसके चलते वातावरण में कार्बन का उत्सर्जन हो रहा है उस पर लगाम लगती नहीं दिख रही है।
वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों ने शुक्रवार को आगाह किया कि मानव गतिविधियां जैसे जंगलों को नष्ट करने से लेकर ऊर्जा के लिए गैस, तेल और कोयले को जलाने तक, ये सभी आने वाले दिनों में वर्षा के चक्र को बाधित करने वाले हैं। उन्होंने आगाह किया कि वर्षा पर दुनिया निर्भर है। यदि वर्षा के चक्र के साथ इसकी मात्रा बाधित हुई तो भारी आर्थिक, स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिरता को खतरा है।
पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के निदेशक और अर्थशास्त्र पर वैश्विक आयोग के सह-अध्यक्ष जोहान रॉकस्ट्रॉम ने कहा, “हमने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को इस धारणा पर बनाया है कि हम वर्षा पर भरोसा कर सकते हैं। लेकिन हमने पाया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण रूप से बदल रहे है।”
सिकुड़ रहे अमेजन वर्षा वन
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेजन जैसे वर्षावन से उठने वाले जल वाष्प से अर्जेंटीना के सोयाबीन और गेहूं के खेतों बारिश होती हैं, अब ये स्थान सूखे का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस स्थिति में अमेजन वर्षावन सिकुड भी रहे हैं। रॉकस्ट्रॉम ने कहा कि कजाकिस्तान के विशाल मैदानों और मध्य एशिया के अन्य हिस्सों से निकलने वाली भाप भी चीन का लगभग आधे हिस्से में बारिश कराती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि जंगलों और अन्य प्रकृति के नुकसान से वर्षा चक्र बाधित हो रहा है। जलवायु परिवर्तन से बनी ऐसी स्थिति आने वाले दिनों और भयावह हो सकती है।
ग्लोबल कमीशन ऑन द इकोनॉमिक्स ऑफ वॉटर ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि पानी की सुरक्षा में कमी से खाद्य आपूर्ति से लेकर जलविद्युत उत्पादन तक सब कुछ खतरे में है। सुरक्षा विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि गंभीर पानी की कमी से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता ला सकती है जैसा कि अफ्रीका के हॉर्न ऑफ अफ्रीका में देशों में देखनों मिल रहा है जहां – राजनीतिक अस्थिरता, संघर्ष, विस्थापन और प्रवासन चरण पर है।
तीन में से एक देश में है जल-संकट
वैश्विक आयोग की रिपोर्ट अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र के एक प्रमुख जल सम्मेलन से पहले आई है। जिसका उद्देश्य वैश्विक जल सुरक्षा में गिरावट को कम करने के लिए एक मार्ग तैयार करना है। यूएन-वाटर के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, पांच दशकों में पहली बार आज लगभग 2.3 बिलियन लोग – लगभग तीन में से एक – जल-तनाव वाले देशों में रहते हैं, जिनमें से एक तिहाई गंभीर दबाव का सामना कर रहे हैं।