नई दिल्ली , धरती से करीब 20 किमी की दूरी पर मौजूद है एस्ट्रॉयड बेल्ट। इस बेल्ट में काफी संख्या में छोटे और बढ़े आकार के एस्ट्रॉयड चक्कर लगाते हैं। ये बेल्ट मंगल यानी मार्स या लाल ग्रह और जूपिटर यानी ब्रहस्पति ग्रह के बीच में स्थित है। इसमें चार सबसे बड़े एस्ट्रॉयड ऐसे हैं जिन पर हमेशा ही वैज्ञानिकों की निगाह लगी रहती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि एस्ट्रॉयड केवल इसी बेल्ट में मौजूद रहते हैं। कुछ एस्ट्रॉयड इस बेल्ट से दूर भी मौजूद होते हैं। ऐसा ही एक एस्ट्रॉयड है एपोफिस। ये एस्ट्रॉयड 1210 फीट या 370 मीटर चौड़ा है। इन एस्ट्रॉयड को नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट कहा जाता है।
आज इस एस्ट्रॉयड के बारे में जिक्र करने की कुछ खास वजह है। आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने कुछ समय पहले इस बात की आशंका जताई थी कि ये एस्ट्रॉयड धरती पर गिर सकता है। वैज्ञानिकों की राय में 13 अप्रैल 2029 को ऐसा हो सकता था। वैज्ञानिकों का ये भी कहना था कि इसके ठीक सात साल बाद यानी 13 अप्रैल 2036 में ये एस्ट्रॉयड फिर धरती के पास से गुजरेगा और इस वक्त भी इसके धरती से टकराने की आशंका बनी रहेगी। इसके बाद इस एस्ट्रॉयड को लेकर 2068 में ऐसे ही हालात बन सकते हैं। लेकिन, अब वैज्ञानिकों ने माना है कि इस एस्ट्रॉयड के धरती से टकराने की संभावना अगले सौ वर्षों में भी नहीं है। नासा ने वैज्ञानिकों राडार ऑब्जरवेशन कैंपेन के तहत मिले आंकड़ों के बाद ये बात कही है।
आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने इसको वर्ष 2004 खोजा था। इसके बाद वैज्ञानिकों ने इसको धरती के लिए सबसे खतरनाक माना है। 5 मार्च को जब ये एस्ट्रॉयड धरती के पास से गुजरा तो वैज्ञानिकों को राडार ऑब्जरवेशन के जरिए इसको दोबारा से समझने और जानने काक मौका मिला। इसके बाद ही वैज्ञानिक इस मत पर पहुंचे की फिलहाल अगले सौ वर्षों तक इस एस्ट्रॉयड से धरती को खतरा नहीं है। नासा की जेट प्रपल्शन लैब केलिफॉर्निया के अंतर्गत आने वाले सेंटर फॉर नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (सीएनईओएस) के डेविड फार्नोकिया के मुताबिक इसको धरती के लिए खतरनाक माने जाने वाले एस्ट्रॉयड की सूची से बाहर कर दिया गया है। इसके बाद इसको सेंट्री इंपेक्ट रिस्क टेबल में डाला गया है। आपको बता दें कि वैज्ञानिक इस तरह के सभी एस्ट्रॉयड पर निगाह रखने के के लिए टेलिस्कोप के अलावा ग्राउंड बेस्ड राडार सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं।
नासा के मुताबिक डीप स्पेस नेटवर्क का पता लगाने वाले रेडियो एंटीना जो करीब 230 फीट चौडा है को घुमाकर इस एस्ट्रॉयड की मौजूदा पॉजीशन का पता लगाया है। इसको धरती से करीब सवा सौ किमी की दूरी से गुजरते हुए देखा गया। नासा का कहना है कि 13 अप्रैल 2029 को ये एस्ट्रॉयड धरती से करीब 32000 किमी (20 हजार मील) की दूरी से गुजरेगा। इस तरह से ये उस वक्त जियोसेंक्रोनाइस सेटेलाइट के करीब से गुजरेगा। उस वक्त इसको करीब से जानने का मौका मिलेगा और इसकी बेहद पास से तस्वीर भी ली जा सकेगी। नासा के मुताबिक वैज्ञानिकों के लिए ये बेहद खास पल होगा।