इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) और इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) के लिए ऑल इंडिया सर्विसेज (AIS) परीक्षा में शामिल होना पड़ता है. जिसका आयोजन यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के माध्यम से होता है. ये पद भारत में शीर्ष पदों में गिने जाते हैं. आइए ऐसे में जानते हैं IAS और IFS परीक्षा में क्या अंतर है.
इंडियन ए़डमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज डिपार्टमेंट ग्रुप A और B पदों को भरने के लिए UPSC द्वारा सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया जाता है. दूसरी ओर, फॉरेस्ट सर्विस एग्जाम उन एजेंसियों में भर्ती के लिए हैं जो वन्यजीवों के साथ-साथ वन्यजीवों के संरक्षण और रखरखाव में लगी हैं. IFS टॉपर्स राज्य के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और सरकार की समान एजेंसियों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं जिन्हें वन भंडार (forest reserves) के संरक्षण और रखरखाव की जिम्मेदारी सौंपी जाती है.
IAS और IFS परीक्षा में आवेदन करने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में एक बड़ा अंतर है. जब इंडियन ए़डमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) की बात आती है, तो किसी भी विषय में डिग्री प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी आवेदन करने के योग्य होते हैं.
हालांकि, इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) के लिए आवेदन करने के लिए, एक उम्मीदवार के पास एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट्री और इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री या पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, भूविज्ञान, गणित, भौतिकी, सांख्यिकी और जीव विज्ञान के विषयों में से एक में ग्रेजुएशन की डिग्री होना अनिवार्य है.
IAS और IFS परीक्षाओं के बीच अगला अंतर परीक्षा के स्तर को लेकर है. क्योंकि IFS परीक्षा को लेकर भी काफी कॉम्पिटिशन होता है, जैसे IAS परीक्षा के लिए हैं.
यह एक आम धारणा है कि IAS परीक्षा को क्रैक करना सबसे कठिन है. हालांकि, IFS में परीक्षा का स्तर भी अधिक कठिन है. ऐसा इसलिए है क्योंकि IFS भर्ती की संख्या IAS पदों से कम होती है. उदाहरण के लिए, UPSC ने 2020 में IFS में 90 पदों की तुलना में IAS के लिए 796 पदों की घोषणा की है.
IAS और IFS दोनों के लिए UPSC अलग से एडमिट कार्ड जारी करता है. वहीं प्रीलिमनरी स्क्रीनिंग और उम्मीदवारों की शॉर्टलिस्टिंग एक संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (combined competitive examination) के माध्यम से की जाती है.
इस प्रक्रिया के बाद उम्मीदवार प्रीलिम्स के लिए योग्य हो जाते हैं, बता दें, मुख्य परीक्षा के लिए, IAS और IFS की परीक्षा के पैटर्न में भी अंतर होता है. उदाहरण के लिए, IAS मुख्य परीक्षा के लिए वैकल्पिक विषयों के चयन के लिए 26 विभिन्न विकल्प हैं. हालांकि, IFS मुख्य परीक्षा के लिए केवल 14 विषयों के विकल्प हैं.
इन दोनों सेवाओं के बीच सबसे बड़ा अंतर उम्मीदवारों की नियुक्ति के बाद स्पष्ट हो जाता है. जिनका नाम फाइनल मेरिट लिस्ट में सामने आता है.
IAS कैबिनेट सचिव के स्तर पर अपने करियर के उच्चतम पद पर सेवा कर सकते हैं, लेकिन IFS पदों के लिए चुने और नियुक्त किए गए उम्मीदवारों के पास राज्य के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में चीफ पद पर पहुंचने का मौका होता है.
जब बात IAS अधिकारी और IFS अधिकारी द्वारा की गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की बात आती है, तो उल्लेखनीय अंतर भी देखा जा सकता है. एक IFS अधिकारी की मुख्य भूमिका राष्ट्रीय वन नीति का प्रवर्तन है. दूसरी ओर, एक IAS अधिकारी एक पूर्ण नौकरशाह होता है जो सरकारी नीतियों के अनुसार काम करता है.