क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान के शहर “लाहौर” का नाम प्रभु राम के एक बेटे “लव” के नाम पर और “कसूर” शहर का नाम दूसरे बेटे “कुश” के नाम पर है
पिछले सप्ताह BCCI के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला पाकिस्तान के लाहौर दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने प्रभु राम से जुड़े एक मंदिर में पूजा-अर्चना भी की. इस बात की जानकारी उन्होंने X पर पोस्ट करके दी. इस दौरान उनके साथ पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी भी मौजूद थे. आइए इस खबर में जानते हैं कि राजीव शुक्ला ने जिस मंदिर में पूजा की उसका प्रभु राम से क्या कनेक्शन है? भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को 77 साल बीत चुके हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कड़ियां आज भी मजबूत बनी हुई हैं. पाकिस्तान का लाहौर शहर भी इसी ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा है, जिसे लेकर एक महत्वपूर्ण दावा भी किया जाता है. कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के जरिए लाहौर के एक प्राचीन मंदिर और प्रभु श्रीराम के पुत्र लव से जुड़े कई ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में बताया.
राजीव शुक्ला ने अपनी पोस्ट में बताया कि लाहौर के प्राचीन किले में भगवान राम के पुत्र लव की एक समाधि मौजूद है. यही नहीं, लाहौर शहर का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया था. इस ऐतिहासिक स्थल पर शुक्ला को पूजा-अर्चना करने का मौका मिला. उनके साथ पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी भी मौजूद थे, जिन्होंने इस प्राचीन स्थल के जीर्णोद्धार का काम शुरू करवाया था. शुक्ला ने आगे बताया कि लाहौर के म्युनिसिपल रिकॉर्ड में इस बात का उल्लेख है कि यह नगर भगवान राम के पुत्र लव द्वारा बसाया गया था. वहीं, लव के भाई कुश के नाम पर पाकिस्तान में कसूर शहर बसाया गया. पाकिस्तान सरकार भी इस तथ्य को स्वीकार करती है.
[: पाकिस्तान का लाहौर शहर इतिहास और संस्कृति के लिहाज से बेहद समृद्ध माना जाता है. 1947 के बंटवारे से पहले यह भारत का हिस्सा था और यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत कई समुदायों के लोग साथ रहते थे. लेकिन क्या आपको पता है कि यह शहर रामायण काल से भी जुड़ा हुआ है? हिंदू मान्यताओं के अनुसार, लाहौर का प्राचीन नाम लवपुरी था, जिसे भगवान राम के पुत्र लव ने बसाया था. यह कहा जाता है कि जब भगवान राम ने वनप्रस्थ जाने का फैसला लिया, तब उन्होंने अपने बेटों लव और कुश को शासन सौंप दिया. इस दौरान लव ने पंजाब के क्षेत्र पर शासन किया और लवपुरी को अपनी राजधानी बनाया. यही लवपुरी आगे चलकर लाहौर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. हालांकि, इस तथ्य का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलता, लेकिन लोककथाओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों में इसे प्रमुखता से बताया गया है. लाहौर में मंदिर और उसकी स्थिति
पाकिस्तान में लव के नाम पर एक मंदिर भी मौजूद है, जो लाहौर किले के अंदर स्थित है. माना जाता है कि यह मंदिर सिख साम्राज्य के दौरान बनाया गया था, लेकिन मौजूदा समय में यह उपेक्षित अवस्था में पड़ा हुआ है. यहां पूजा-पाठ नहीं होती और इसे किसी धर्मस्थल की तरह संरक्षित नहीं किया गया है. कसूर जिले की बात करें तो इसका नाम भगवान राम के दूसरे पुत्र कुश के नाम पर रखा गया है. इतिहासकारों के अनुसार, कसूर शहर की स्थापना 1525 में हुई थी और यह क्षेत्र पहले सिंधु घाटी सभ्यता के अंतर्गत आता था. लाहौर का इतिहास सिर्फ हिंदू और रामायण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मुगल, सिख, पठान और ब्रिटिश साम्राज्य का भी महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. यह शहर आर्य समाज का भी गढ़ रहा है, जहां से संस्कृत ग्रंथों का प्रकाशन हुआ और संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार भी किया गया l साभार ▪️