▪︎कृषि आधारित इकाईयां स्थापित करने के लिए आगे आए किसान और व्यापारी – कलेक्टर सिंह
▪︎आत्मनिर्भर भारत के लिए किसानों का जागरूक होना आवश्यक- अपर संचालक सिंह
▪︎एमपी फार्म गेट एप तथा कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड योजना की कार्यशाला आयोजित
वर्तमान में बदलते कृषि परिदृश्य, कृषि आधारित बाजार की मांग और पूर्ति को दृष्टिगत रखते हुए किसानों को न केवल फसल उत्पादन करने, बल्कि फसलों के विक्रय से लेकर उपयुक्त समय तक फसलों को संग्रहित रखने के लिए स्थाई व्यवस्था करने की आवश्यकता है, ताकि किसान अपनी उपज का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें। इसके साथ ही कृषि प्रसंस्करण इकाइयां लगाने की आवश्यकता है। यह बात कलेक्टर प्रवीण सिंह ने जिला पंचायत सभाकक्ष में आयोजित एमपी फार्म गेट एप तथा कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड योजना की कार्यशाला में कहीं। कार्यशाला में जिलेभर के किसान, व्यापारी तथा बैंकर्स उपस्थित थे।
कलेक्टर सिंह ने कहा कि कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड योजना का मुख्य उद्देश्य फसल उत्पादन के पश्चात उपज का प्रबंधन, खेती के बुनियादी ढांचे में सुधार और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों का निर्माण करना है। ताकि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके। किसान अपनी उपज को स्थानीय बाजार की मांग के अनुरूप पूर्ति तथा मांग के अभाव में अपनी फसल को उपयुक्त समय तक अपने पास संधारित करके रख सके, इसके लिए कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस की आवश्यकता है। वर्तमान में इनका अभाव होने के कारण किसानों को कम दाम पर अपनी फसलों का विक्रय करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस योजना से किसान कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस तथा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड योजना के तहत ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
कलेक्टर सिंह ने सीहोर के शरबती गेहूं का उदाहरण देते हुए कहा कि किसानों को शरबती गेहूं के दाम 3000 से 4000 रूपए प्रति क्विंटल प्राप्त होते हैं और आटा बनाने वाली कंपनियां 80 से 100 प्रति किलो विक्रय कर दूने से अधिक लाभ कमा रही है। उन्होंने कहा कि अगर किसान आटा मिल लगाएं तो इसका लाभ किसानों को ही मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिले के किसानों और कृषि का व्यापार करने वाले व्यापारियों को जिले में कृषि आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए आगे आना चाहिए। ताकि किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। साथ ही कृषि प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना होगी तो इससे जिले के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। कलेक्टर सिंह ने कहा कि एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर योजना को लागू करने में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है तथा सीहोर जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर है। सीहोर जिले को प्रदेश में प्रथम स्थान पर लाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
कार्यशाला में मंडी बोर्ड के अपर संचालक गौतम सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए किसानों का जागरूक होना आवश्यक है। वह समय की मांग के अनुरूप खेती में बदलाव के साथ ही फसलों के अच्छे दामों पर विक्रय के सभी विकल्पों पर विचार करें। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड योजना इसमें उनकी सहायता करेगी। कृषि विश्वविद्यालय सीहोर के डीन एचडी वर्मा ने कहा कि छोटी जोत के किसानों के लिए कस्टम हायरिंग जैसी संस्थाओं को स्थापित बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने खेती में नवीनतम तकनीक का उपयोग करने की बात भी कही। कार्यशाला में डॉ. पूजा सिंह ने एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड योजना के बारे में किसानों तथा बैंकर एवं व्यापारियों को विस्तार से जानकारी दी।
इन कार्यो में ले सकते हैं योजना से लाभ
कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) योजना में वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज, शॉर्टिंग एवं ग्रेडिंग यूनिट, प्राथमिक प्र-संस्करण इकाई, साइलोज़, पैकेजिंग इकाई, रायपनिंग चैम्बर, वैक्सिंग प्लांट, दाल मिल, आटामिल, राइसमिल, कोल्ड प्रेस ऑयल मिल, आर्गेनिक इन्पुट प्रोडक्शन, बायो स्टीमुलेन्ट यूनिट, कस्टम हायरिंग सेंटर तथा हाई-टेक हब (ड्रोन प्रोजेक्ट्स) आदि परियोजनाएँ उपलब्ध है।
योजना की मुख्य विशेषताएं
इस योजना में सरकार द्वारा हितग्राहियों को तीन प्रतिशत ब्याज का अनुदान दिया जाता है। साथ ही इसमें क्रेडिट गारन्टी भारत सरकार देती है।
एमपी फार्म गेट एप की सामान्य जानकारी
एमपी फार्म गेट एप के माध्यम से कृषक अपनी उपज खलिहान, घर से ही विक्रय कर सकते है और फसल का सही मूल्य एवं भुगतान प्राप्त कर सकते है। व्यापारी भी सीधे किसान के खलिहान या घर से उपज खरीद सकते है एवं भुगतान कर सकते है। किसान, एप पर अपनी फसल का ऑफर दे सकते हैं, जो उस मंडी के सारे व्यापारियों को उनके लॉगिन पर उपलब्ध होगा, व्यापारी उस ऑफर पर अपना रेट दे सकते हैं और कृषक द्वारा मंजूर होने पर सौदा पत्रक बना सकते हैं। कृषक, व्यापारी से सीधा सम्पर्क कर सहमती से भी पूर्व की तरह सौदा पत्रक बना सकते हैं। कृषक लोगिन पर एप द्वारा सौदा एवं भुगतान पत्रक की सुविधा प्रदान की गई है। कृषक लॉगिन पर बनाए गए सौदा एवं भुगतान पत्रक का विवरण उपलब्ध रहेगा।
#l