कुटरचित दस्तावेजो के आधार पर बैंक से ऋण लेकर राशि का दुरूपयोग करने वाले आरोपियो को सात-सात वर्ष का साश्रम कारावास की सजा

 

 

आष्टा। द्धितिय अपर सत्र न्यायाधिश कंचन सक्सेना आष्टा के न्यायालय द्वारा आरोपी मनोज परमार पिता धरमसिंह परमार निवासी शांतिनगर आष्टा को भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468 एवं 471 में सात वर्ष का साश्रम कारावास एवं 14 हजार रूपयें के अर्थदंड से दंडित किया एवं आरोपी मार्क पियुष करारी पिता पियुष करारी सर्वसंपन्न नगर इन्दौर को भादवी की धारा 420/120बी, 467/120बी, 468/120बी एवं 471/120बी में दोषी पाते हुए सात वर्ष का साश्रम कारावास एवं 14 हजार रूपयें के अर्थदंड से दंडित किया गया।
अपरलोक अभियोजक विजेन्द्रसिंह ठाकुर के बताये अनुसार फरियादी पंजाब नेशनल बैंक शाखा आष्टा के वरिष्ठ शाखा प्रबंधंक राजेन्द्र मोहन नायर द्वारा दिनांक 14 जुलाई 2017 को एक लिखित आवेदन पत्र थाना आष्टा में प्रस्तुत किया, जिसमें़ ऋण राशि छल एवं कपटपूर्ण आश्य से राशि का दुरूपयोग करने संबंधी दिया था, पंजाब नेशनल बैंक शाखा गणेश मार्केट आष्टा जो कि राष्ट्रीयक्रत बैंक है। मध्यप्रदेश शासन की जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र सीहोर द्वारा मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत प्रशांत गुप्ता पिता राजकुमार निवासी सांई कालोनी आष्टा रेडिमेड वस्त्र निर्माण के लिए 99 लाख 49 हजार रूपयें का ऋण प्रकरण उक्त बैंक को प्राप्त हुआ था। बैंक द्वारा औपचारिकतरा पूर्ण करने के बाद 20 लाख का टर्म लोन एवं 50 लाख रूपये का सीसी लिमिट उक्त ऋणी प्रशांत गुप्ता ने परमार मशीनरी एवं कृषि सेवा केन्द्र आष्टा का कोटेशन लगाया था। उक्त कृषि सेवा का बिल का भुगतान प्रो. मनोज परमार के खाते में ट्रांसफर किया गया। यह फर्म आष्टा में दिए हुये पते पर अस्तित्व में नही पाई गई ओर ना ही प्रशांत गुप्ता को दिए गये लोन के संबंध में व्यवसायिक युनिट भी मौके पर नही पाई गई। उक्त ऋणी प्रशांत गुप्ता को वस्त्र निर्माण के लिए ऋण स्वीकृत किया गया था। उक्त राशि का छल पूर्वक दुरूपयोग परमार मशीनरी एवं कृषि सेवा के प्रो. के साथ साठगांॅठ कर किया गया। जिस टीन नम्बर बिल का वर्णन दिया गया था वह टीन नम्बर बिल उक्त दिनांक को प्रभावी नही था, क्योकि टीन नम्बर 16 अगस्त 2013 को जनरेट होकर उसी दिन निरस्त भी हो गया था। इसकी पुष्ठी बैंक द्वारा आॅन लाईन पोर्टल पर की गई थी। इस प्रकार परमार मशीनरी द्वारा फर्जी टिन नम्बर के आधार पर बिल दिय गये थे। जबकि परमार कृषि मशीनरी कृषि के उपकरण से संबंधित फर्म थी जबकि वस्त्र निर्माण मशीनो के विक्रय का कुट रचित एवं फर्जी बिल बनाकर बैंक की राशि हडप ली गई थी।
आष्टा पुलिस द्वारा आवेदन पत्र की जांच पर से पाया गया कि रेडिमेड वस्त्र निर्माण के लिए ऋणी प्रशांत गुप्ता, परमार कृषि मशीनरी के प्रो. मनोज परमार ने पंजाब नेशनल बैंक शाखा आष्टा के तत्कालिन प्रबंधंक एम.पी. करारी, बैंक अधिकारी एसएन विश्वकर्मा, जिला उद्योग केन्द्र सीहोर के पदाधिकारियों के साथ मिलकर छल कपट कर धोखाधडी कर कुट रचित दस्तावेज तैयार कर एक राय होकर षडयंत्र रचकर कोई व्यवसाय प्रारंभ ना करते हुए ऋण राशि प्राप्त कर अवैध लाभ प्राप्त करते हुए शासन को हानि पहंचाई।
पुलिस आष्टा द्वारा भादवी की धारा 420,467,468,471, 409,120 बी के तहत आरोपीगणो के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। अनुसंधान के उपरांत न्यायालय मेंअभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। विचारण न्यायालय में अभियोजन की ओर से साक्ष्य कराई गई। दोनो पक्षों की बहस सुनने के उपरांत शेषन न्याया धीष कंचन सक्सेना द्वारा आरोपी मनोज परमार, मार्क पियुष करारी को सात-सात वर्ष की सजा एवं 14-14 हजार रूपयें के अर्थदंड से दंडित किया गया।

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