कर्नाटक ने राज्य में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए अपनी वार्षिक कार्य योजना जल शक्ति मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत की। पेयजल और स्वच्छता विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित बैठक में 2020-21 के लिए राज्य की कार्य योजना को मंजूरी दी गई। जल शक्ति मंत्रालय प्रधानमंत्री के प्रमुख कार्यक्रम जल जीवन मिशन को लागू करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने में राज्यों के साथ काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति 55 लीटर पेयजल उपलब्ध कराना है।
कर्नाटक 2022-23 तक 100% घरों तक नल कनेक्शन की योजना बना रहा है। राज्य के 89 लाख ग्रामीण परिवारों में से, 24.50 लाख को नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान किया गया है। 2019-20 में, केवल 22,127 नल कनेक्शन प्रदान किए गए थे। शेष ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान करने की बहुत गुंजाइश है। राज्य 2020-21 में, 23.57 लाख घरों तक नल के पानी का कनेक्शन पहुंचाने की योजना बना रहा है। इसके अलावा, राज्य 2020-21 के दौरान 1 जिले, 5 ब्लॉक और 8,157 गांवों के 100% कवरेज की योजना बना रहा है। कुछ क्षेत्रों में घरेलू नल कनेक्शन का प्रावधान करने की प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मंत्रालय के अधिकारियों ने ‘निष्पक्षता और समग्रता के सिद्धांत’ पर जोर दिया, जबकि राज्य की समाज के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अधिकारहीन और कमजोर वर्गों के लिए एफएचटीसी प्रदान करने की योजना है। राज्य इस वर्ष के दौरान मौजूदा 3,139 पाइपलाइनों के जरिये जलापूर्ति प्रणाली में बाद में जोड़ी गई पाइपों और उनमें बढ़ोतरी कर 23.57 लाख नल कनेक्शन प्रदान करने की योजना बना रहा है, जिसके लिए ‘युद्धस्तर पर कार्य’ शुरू किया जाना है।
कर्नाटक राज्य में 2 आकांक्षी जिले हैं, इसलिए राज्य को योजना बनाते समय इन क्षेत्रों को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई है। इसी तरह, सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गुणवत्ता प्रभावित घरों, पानी की कमी वाले क्षेत्रों, एससी/एसटी बहुल गाँवों और गाँवों की सार्वभौमिक कवरेज पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
केन्द्र सरकार ने कर्नाटक में 2020-21 में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 1,189.40 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जिसमें 2019-20 के 546.06 करोड़ रुपये की तुलना में पर्याप्त वृद्धि की गई है। राज्य से कहा गया है कि वह वास्तविक आउटपुट यानी प्रदान किए गए नल कनेक्शनों की संख्या और आनुपातिक वित्तीय प्रगति के संदर्भ में कार्यक्रम का त्वरित कार्यान्वयन करे, ताकि राज्य प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त धनराशि का लाभ उठा सके। राज्य के पास उपलब्ध 55.67 करोड़ रुपये के प्रारंभिक जमा और इस वर्ष उपलब्ध 1,189.40 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, और राज्य के मैचिंग शेयर पर विचार करते हुए, जल जीवन मिशन के अंतर्गत कर्नाटक में ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए 2,709.25 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए।
इसके अलावा, पीआरआई को 15वें वित्त आयोग अनुदान के रूप में राज्य को 3,217 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे, जिनमें से 50% अनिवार्य रूप से पानी और स्वच्छता पर खर्च किए जाएंगे। मनरेगा, एसबीएम (जी), पीआरआई को 15वें वित्त आयोग के अनुदानों, जिला खनिज विकास कोष, सीएएमपीए, सीएसआर कोष, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि, आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत राज्य द्वारा ग्राम स्तर पर अभिसरण योजना बनाने की आवश्यकता है और हर गांव की ग्राम कार्य योजना (वीएपी) को इस तरह की सभी धनराशि के क्रमवेशन से तैयार किया जाएगा ताकि जल संरक्षण गतिविधियों को आगे बढ़ाया जा सके और जल स्रोत सुनिश्चित हो सके तथा पीने के पानी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
राज्य में दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव में स्थानीय ग्राम समुदाय/ग्राम पंचायतों या उपयोगकर्ता समूहों को शामिल करने की योजना है। सभी गांवों में, जेजेएम को सही मायने में जन आंदोलन बनाने के लिए सामुदायिक सहयोग के साथ आईईसी अभियान चलाया जाता है। ग्रामीण जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ उनके संचालन और रख-रखाव के लिए ग्रामीण समुदाय को जुटाने के लिए महिला स्व सहायता समूहों और स्वैच्छिक संगठनों को संलग्न करने की राज्य की योजना है।
जेजेएम के तहत, पानी की गुणवत्ता की निगरानी के एक भाग के रूप में रासायनिक मापदंडों के लिए हर स्रोत का परीक्षण करने और बैक्टीरियलॉजिकल संदूषण (मानसून पूर्व और बाद में) के लिए एक वर्ष में दो बार परीक्षण करने का प्रावधान किया गया है। राज्य को तद्नुसार सभी जल स्रोतों का अनिवार्य परीक्षण करने के लिए कहा गया है। आम जनता के लिए पानी की गुणवत्ता वाली प्रयोगशाला सुविधाएं खोलने की भी सलाह दी गई है। प्रत्येक गाँव में पाँच महिलाओं को गाँव स्तर पर आपूर्ति किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। मौजूदा राज्य और जिला स्तर की प्रयोगशालाओं की मान्यता पर बहुत जोर दिया जाता है। कर्नाटक की योजना 2020-21 में 30 जल परीक्षण प्रयोगशालाओं के मानकीकरण की है।
वर्तमान कोविड-19 महामारी की स्थिति में, राज्य से अनुरोध किया गया है कि गाँवों में पानी की आपूर्ति और जल संरक्षण से संबंधित कार्यों को तुरंत शुरू किया जाए ताकि कुशल/अर्ध-कुशल प्रवासी श्रमिकों को आजीविका प्रदान करने के साथ-साथ ग्रामीण लोगों के घर पर पीने योग्य पानी सुनिश्चित किया जा सके।