ओबीसी को गुमराह करके उपचुनाव जीतना चाहती है भाजपा: विभा पटेल

 

 

27 फीसदी आरक्षण पर कोर्ट में पक्ष क्यों नहीं रख रही है सरकार ?
उच्च शिक्षा विभाग ने आरक्षण को लेकर अलग-अलग मापदंड क्यों तय किए ?

भोपाल, 4 सितम्बर 2020,

मप्र कांग्रेेस कमेटी की प्रवक्ता एवं पूर्व महापौर श्रीमती विभा पटेल ने आरोप लगाए हैं कि मप्र में भारतीय जनता पार्टी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) विरोधी है। यही वजह है कि भाजपा सरकार ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण नहीं दे रही है और आरक्षण के नाम पर प्रदेश की 51 फीसदी से ज्यादा ओबीसी आबादी को गुमराह करके विधानसभा उपचुनाव जीतना चाहती है। सरकार अन्य पिछड़े वर्ग के युवाओं को ठगने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने पर हाईकोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है। इसके बावजूद भी उच्च शिक्षा विभाग ने ओबीसी आरक्षण के अलग-अलग पैरामीटर तय किए हैं। ओबीसी को प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में 27 फीसदी आरक्षण नहीं देने पर हाईकोर्ट में 3 सितंबर को मुख्य न्यायमूर्ति अजय कुमार मित्तल एवम सुजय पाॅल की युगल पीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नगरथ एवं रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह उपस्थित हुए। कोर्ट ने अगली सुनवाई 23 सितंबर को शासन का पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
अपाक्स संगठन की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा 18 जुलाई 2019 को विधानसभा से आरक्षण अधिनियम 1994 को संशोधित कर ओबीसी को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 आरक्षण देने का प्रावधान किया है। जिसके प्रवर्तन पर हाईकोर्ट की किसी भी प्रकार की रोक (स्टे) नही है। कोर्ट में बताया कि याचिका क्रमांक 5901/19 में पारित आदेश केवल पीजी नीट में एडमिशन से संबंधित था। उस आदेश से अन्य पाठ्यक्रमों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण से वंचित नहीं किया जा सकता है। श्रीमती पटेल ने आरोप लगाते हुए कहा कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 31 जुलाई को दो आदेश जारी किए गए। जो परस्पर विरोधाभाषी र्है। ग्रेज्यूशन पाठ्यक्रमों में 27 फीसदी आरक्षण तथा प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में 14 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जो असंवैधानिक है। इस मामले में युगल पीठ ने शासन को अगली सुनवाई में प्रकरण क्रमांक 5901/19 में पक्ष रखने को कहा है।
सरकार गंभीरता से नहीं रख रही पक्ष
कांगे्रस प्रवक्ता श्रीमती विभा पटेल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण का मामला सीधे तौर पर प्रदश्ेा की 51 फीसदी आबादी के अधिकारों से जुड़ा है। इस मामले को भाजपा सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता ,अतिरिक्त महाधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए। पैनल अधिवक्ता ही शासन की ओर से न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि 30 जून 2003 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया था। इस संदर्भ में माननीय कमलनाथजी ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह को भी पत्र लिखा है। वर्तमान में भाजपा की सरकार है। तब भी भाजपा सरकार ने हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर मजबूत पक्ष नहीं रखा था। इस वजह से 13 अक्टूबर 2014 ने ओबीसी आरक्षण को निरस्त कर दिया था। इसके विरुद्ध तत्कालीन भाजपा सरकार की ओर से कोई अपील नहीं की थी। दिसम्बर 2018 में पुनरू कांग्रेस सरकार बनने के बाद 8 मार्च 2019 को ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया गया अब कांग्रेस सरकार सत्ता में नही है आरक्षण से संवंधित हाई कोर्ट में कुल 18 केस चल रहे हैं। विगत 20 जुलाई 2020 की सुनवाई में शासन पक्ष की ओर से मजबूती से पक्ष नही रखा गया क्योंकि शासन पक्ष की ओर से पैरवी की कोई तैयारी नही थीं।

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