एमएसएमई और स्टार्ट अप के लिए ड्रोन उत्पादन के क्षेत्र में बढ़ती संभावनाएं: पीएलआई से मिलेगा बढ़ावा

पीएलआई योजना के अनुसार, सरकार कंपनियों को अतिरिक्त उत्पादन करने पर प्रोत्साहन देगी। सरकार का मकसद उनको ज्यादा निर्यात करने के लिए बढ़ावा देना है।

पीएलआई स्कीम का मकसद देश में कॉम्पिटिशन का माहौल बनाने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करना है।

केंद्र सरकार ने 25 अगस्त 2021 को नई ड्रोन पॉलिसी की घोषणा की थी. इसमें ड्रोन संचालित करने के नियमों में ढील दी गई थी.

ड्रोन नियम, 2021 के तहत ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है और फॉर्म/अनुमति की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी गई है.

साथ ही किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले किसी सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं है.

सरकार डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है, जिसमें हरे-पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटर-एक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा.

भारत को 2030 तक ड्रोन हब बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए केंद्र ने ड्रोन और ड्रोन कंपोनेंट्स के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजना को मंजूरी दे दी है.

योजना के तहत अगले तीन साल में ड्रोन बनाने वाली कंपनियों को उत्पादन क्षमता के आधार पर इंसेंटिव दिया जाएगा.

ड्रोन पीएलआई योजना के लिए अगले तीन साल में सरकार 120 करोड़ रुपये खर्च करेगी.

यह रकम वित्‍त वर्ष 2020-21 में भारत की सभी ड्रोन कंपनियों के कुल कारोबार की दोगुनी है.

ड्रोन सेक्‍टर के लिए पीएलआई दर 20% पर रहेगी.

स्थिरड्रोन और ड्रोन कंपोनेंट्स के निर्माता के लिए इंसेंटिव उनकी ओर से किए गए वैल्यू एडिशन का 20 फीसदी होगा.

केंद्र सरकार ने ड्रोन के तीन वर्षों के लिए पीएलआई दर को 20 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला किया है.

वहीं, बाकि सेक्टर में पीएलआई स्कीम में इंसेंटिव की दर हर साल कम हो जाती है.

तीन साल के बाद सरकार इसके असर का अध्ययन कर योजना को या तो बढ़ाएगी या फिर से ड्राफ्ट करेगी.

सरकार को उम्मीद है कि अगले 3 साल में भारत में ड्रोन सेक्टर में 5000 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 10,000 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा.

ड्रोन के मामले में भारत आज बराबरी में खड़ा है. आज टर्न ओवर 80 करोड़ है लेकिन राहत 120 करोड़ की है.

ड्रोन नई फील्ड हैं. इसमें स्टार्टअप और MSME होंगी.

जो भी इंडियन स्टार्टअप हैं, वो ड्रोन के लिए सालाना टर्नओवर 2 करोड़ रुपए और कंपोनेंट के लिए 0.5 करोड़ रुपए का रहेगा. इस पर इन कंपनियों को इंसेटिव मिलेगा.

लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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