ईआरसीपी पर सीएम गहलोत एमपी के मुख्यमंत्री से संवाद क्यों नहीं करते?

 

ईआरसीपी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच वर्ष पहले जो कहा, उस पर आज भी कायम है।

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राजस्थान में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उम्मीद है कि नौ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) मुद्दा बनेगा और इससे भाजपा को नुकसान होगा, क्योंकि ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना बनाने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत विधानसभा चुनाव में अजमेर और जयपुर की सभाओं में की थी। सीएम गहलोत ने मोदी की चुनावी सभा के भाषण भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं। सीएम गहलोत की इस हमलावर स्थिति के बीच ही पीएम मोदी ने 12 फरवरी को पांच वर्ष पुराने कथन को ही दोहराया है। दिल्ली मुंबई के बीच बनने वाले एक्सप्रेस हाईवे जयपुर-दिल्ली खंड के मार्ग के शुभारंभ पर दौसा के निकट एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, राजस्थान में पानी की चुनौती का समाधान हमारी प्राथमिकता में है। पूर्वी राजस्थान में पेयजल व सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करने के लिए हम प्रतिबद्ध है। पूर्वी राजस्थान और पुरानी पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना का प्रारूप तैयार किया है। इसे राजस्थान और मध्यप्रदेश के साथ साझा किया है। नदियों से जुड़ी विशेष समिति ने भी इसे विशेष प्राथमिकता वाली परियोजना में रखा है। दोनों राज्यों में सहमति बनते ही परियोजना को आगे बढ़ाने पर केंद्र विचार करेगा। यानी पीएम मोदी ने ईआरसीपी पर पांच वर्ष पहले जो बात कही उस पर अभी कायम है। सवाल परियोजना में पानी पर निर्भरता का भी नहीं है, सवाल दो राज्यों के बीच आपसी सहमति का है। जब कोई नदी दो राज्य से गुजरती है, तो उस पर बनने वाली परियोजना पर दोनों राज्यों की सहमति जरूरी है। सीएम गहलोत ईआरसीपी को चाहे जितना चुनावी मुद्दा बना लें, लेकिन सच्चाई यह है कि मध्यप्रदेश की सहमति के बगैर चंबल नदी के पानी का उपयोग राजस्थान में नहीं हो सकता। जहां तक मध्यप्रदेश का सवाल है तो 2019 में जब मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही थी, तब कमलनाथ ने केंद्र सरकार को पत्र भेज कर ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट का विरोध किया। तब अशोक गहलोत ही राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। तब कमलनाथ के विरोध पर गहलोत ने चुप्पी साध ली। सवाल उठता है कि कमलनाथ और कांग्रेस सरकार के रहते अशोक गहलोत ने मध्यप्रदेश के साथ सहमति क्यों नहीं बनवाई? अशोक गहलोत बताएं कि कांग्रेस सरकार की असहमति के बाद मध्य प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ईआरसीपी पर कैसे सहमति दे सकते हैं? चुनावी मुद्दा बनाने से पहले गहलोत को परियोजना की हकीकत भी समझनी चाहिए। यदि कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते अशोक गहलोत ईआरसीपी का मुद्दा उठाते तो ज्यादा कारगर होता। जहां तक पीएम मोदी का सवाल है तो वे पांच वर्ष पहले के अपने कथन पर आज भी कायम है। मध्य प्रदेश के साथ सहमति बनाने की जिम्मेदारी अशोक गहलोत की है। केंद्र सरकार को गालियां देकर और पीएम मोदी की आलोचना कर अशोक गहलोत ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं करवा सकते हैं।

साभार:  S.P.MITTAL

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