*आख़िरकार एक नहीं सैकड़ों “सौरभों” का जन्मदाता कौन* ?

*आख़िरकार एक नहीं सैकड़ों “सौरभों” का जन्मदाता कौन* ?

इन्हें चयनित करने वाले चिन्हित, असली और सफ़ेदपोश महाभ्रष्टों के ख़िलाफ़ कार्यवाही कौन करेगा*….?

 

*व्यापमं के माध्यम परिवहन आरक्षक परीक्षा-2012 में अवैध और अनुचित तरीक़ों (भ्रष्टाचार) से नियुक्ति पा चुके,12 सालों तक नौकरी करने वाले 52 परिवहन आरक्षकों को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय व माननीय न्यायालय के पारित स्पष्ट,सख़्त निर्देशों के बाद अंततः मजबूर राज्य सरकार को उन्हें सेवा से बर्खास्त करना ही पड़ा,उसके बाद बर्खास्त सेवाकर्मी अपनी सेवा की बहाली को लेकर पुनः उच्च न्यायालय पहुंचे तो मान.न्यायालय ने इस बार अपने और भी अधिक सख़्त तेवर दिखाते हुए यहां तक आदेश दे डाला कि जब

अवैध तरीक़ों से चयनित परिवहन आरक्षकों को लेकर देश की शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालय ने पहले ही अपना रूख स्पष्ट कर इन्हें बर्खास्त करने के राज्य सरकार को निर्देश दे दिये थे,तब ये आरक्षक नौकरी कैसे करते रहे ! राज्यसरकार एक कमेटी बनाकर दोषियों को न केवल चिन्हित करे बल्कि राजकीय कोष में हुए घाटे की पूर्ति भी उनसे करे*….

 

*अब प्रश्न यह उठता है कि* :-

 

(1) *जब 21 जून, 2014 को व्यापमं महाघोटाले को मैंने सार्वजनिक किया, इसमें परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 भी एक प्रमुख मुद्दा था, 23 जून,2014 को तत्कालीन परिवहन मंत्री मान,@bhupendrasingho ने सरकार की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में स्पष्ट किया कि मेरे आरोप असत्य हैं,परीक्षा पूरी तरह पारदर्शी तरीक़े से हुई, कोई भी नियुक्ति ग़लत तरीक़ों से नहीं हुई है ! तत्कालीन मुख्यमंत्री मान.@OfficeofSSC जी ने भी मेरे ख़िलाफ़ बहुत कुछ कहा, सरकार की ओर से मेरे विरुद्ध मानहानि प्रकरण भी दर्ज करवाया इसी प्रकरण में सरकार के गवाह के रूप में तत्कालीन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर श्री संजय चौधरी ने बतौर गवाह ट्रायल कोर्ट में शपथ-पत्र के साथ मेरे द्वारा लगाये गये आरोपों को झूठा बताया गया और उनके द्वारा हस्ताक्षरित नियुक्तियों के चयन को भी वैध बताया यहाँ तक कि मुझे 2सालों की सजा भी करवाई गई,हालांकि मैं देश की शीर्ष अदालत से बरी हुआ,अर्थदंड तक वापस करवाया गया, “भ्रष्ट सिंडिकेट” बेनक़ाब हुआ और वह क्रम आज तक सामने आ रहा है*….!

 

(2)*मैं इस सिंडिकेट के कर्ताधर्ता “महामानवों” से आग्रहपूर्वक पूछना चाहूंगा और आपकी विचारधारा के आतंक से भयभीत प्रदेश भी अब यह जानना चाहता है कि जब सर्वश्री माननीय शिवराजसिंह चौहान,तत्कालीन परिवहन मंत्रीद्वय जगदीश देवड़ा जी (ड्रग तस्कर हरीश आंजना के करीबी)

भूपेन्द्रसिंह जी,तत्कालीन ACS परिवहन और तत्कालीन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर श्री संजय चौधरी, जिनकी इस (ई) मानदार चयन प्रक्रिया में “अथक और अग्रणी” भूमिकाएँ थी ! इनमें से कोई भी व्यक्ति यदि ईमानदार है तो क्या ये इन प्रामाणिक सवालों का जवाब देगा कि* :-

 

*जब इस परीक्षा हेतु कुल 198 पदों की स्वीकृति के आधार पर अन्य निर्धारित आहृताओं से अभ्यर्थियों का चयन होना था तो 336 आरक्षकों का नियम और निर्धारित आहृताओं के विपरीत चयन कैसे और किसने किया*?

*इस परीक्षा में हुए भ्रष्टाचार के प्रमाण भी जब हमनें सार्वजनिक कर दिए तो ग़लत तरीक़ों से चयनित परिवहन आरक्षकों में मार्च,2013 को 27 आरक्षक एक साथ एक ही दिन इस्तीफ़ा देकर क्यों भागे*?

*10 चयनित आरक्षकों के जांच में अस्थाई पते भी ग़लत पाए गए, वे कौन और कहाँ के थे*?

*17 आरक्षकों ने चयन के बाद भी उन्होंने ज्वाइन क्यों नहीं किया* ?

*देश के शीर्ष अदालत और माननीय उच्च न्यायालय के सख़्त निर्देशों के बाद 12 सालों तक नौकरी करने के बाद 52 परिवहन आरक्षकों की बर्ख़ास्तगी और अब मान. उच्च न्यायालय द्वारा उनके पारित आदेशों के विलंब से किए गए परिपालन को लेकर सरकार को एक कमेटी बनाकर इसके जवाबदेहियों की 90 दिनों में चिन्हित कर इनके ग़लत वेतन आहरण से राजकोष में हुई हानि की उनसे भरपाई करने के जारी निर्देश किस ईमानदार सौदे का स्पष्ट संकेत है* ?

👉🏽*उक्त परिवहन आरक्षक परीक्षा को पूरीतरह से ईमानदार व पारदर्शी बताने वाले अब ख़ामोश क्यों हैं*?

♦️👉🏽*उक्त उल्लिखित प्रामाणिक तथ्यों /साक्ष्यों के बाद “कई सौरभ शर्माओं” के जन्मदाता जेल के सीखचों से बचे क्यों हैं,जबकि समूचे व्यापमं महाघोटाले में हुई विभिन्न 168 परीक्षाओं सहित परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012 से जुड़े पैसा देने वालों को रोज़ सजायें हो रही हैं, वे जेल जा रहे हैं और उनसे पैसा लेने वाले सफ़ेदपोश विदेशी कारों/ विमानों में घूमकर “बौद्धिकता और अपनी कथित ईमानदारी का च्वनप्राश बाँट रहे हैं*….. “क्या यह पाप ही उनके ईमानदार होने की सोहरात है, कोई तो ईमानदार सामने आये” l

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