सीहोर में प्रदीप मिश्रा ने की कथा स्थगित

इंदौर-भोपाल हाइवे पर करीब 40 किमी का लंबा जाम लग गया, जो कथा एक से चार बजे तक होना थी, उसे साढ़े 11 बजे शुरू कर 2 बजे समापन कर दिया गया। इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने भावुक होकर श्रद्धालुओं से क्षमा मांगत हुए कथा को विराम देते हुए लोगों से घर जाने की अपील की। उन्होंने खेद जाताया कि देश के कोने-कोन से आए श्रद्धालुओं के लिए मैं व्यवस्था नहीं कर पाया। इसके लिए मुझे क्षमा करे। आप आनलाइन कथा सुने। साथ रुद्राक्ष आपके पते पर भेज दिए जाएंगे, उसके लिए आप हमारे नंबर पर जानकारी उपलब्ध कर दे।

जानकारी के अनुसार 28 फरवरी से 6 मार्च तक कथा का आयोजन किया जाना था, जिसमें सात दिन में करीब 20 लाख लोगों के आने की संभावना जताई गई थी, लेकिन पहले ही दिन लगभग पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के कुबेश्वर धाम पहुंचने से अव्यवस्थाएं हो गई। हालत यह थी कि रात से ही पंडाल सहित आसपास श्रद्धालुओं का सैलाब एकत्रित हो गया, जिससे सुबह पहुंचने वाले श्रद्धालु कुबेश्वर धाम तक न पहुंचेते हुए हाइवे पर ही फंसकर रह गए। जब अव्यवस्था अधिक हुई तो कथा में ही अंतरराष्ट्रीय भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं से रुहासे मन से क्षमा मांगते हुए समय से पहले कथा शुरू कर समापन कर दिया। वहीं श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि जो जहां से आए हैं, वह अपने घर धीरे-धीरे रवाना हो जाएं। कथा पहले की तरह आनलाइन सुने, रुद्राक्ष के लिए मेरे नंबर पर अपनी जानकारी भेज सकते है, जहां रुद्राक्ष पहुंचा दिए जाएंग।

ऐसे बिगड़ी व्यवस्था

कुबेश्वर धाम में कथा स्थल पर 20 हजार लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई थी, वहीं 50 हजार से ज्यादा लोग परिसर में एक साथ डोम में बैठने के लिए 15 हजार वर्ग फीट में डोम लगाए गए। 80 एकड़ में पार्किंग की व्यवस्था की गई थी, लेकिन एक दिन पहले ही श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ने से जगह व व्यवस्थाएं कम पड़ गई, वहीं सोमवार को सुबह से जब अन्य श्रद्धालु अपने वाहनों से कुबेश्वर धाम पहुंचे तो पार्किंग की जगह नहीं मिली, जिससे इंदौर-भोपाल हाइवे पर सुबह छह बजे से जाम लगना शुरू हुआ, जो करीब 40 किमी लंबा हो गया। इसके अलावा खेतों में खड़ी फसल के कारण वाहन पार्क करने लोगों को जगह नहीं मिली। संभावना जताई जा रही थी कि 20 लाख लोग सात दिन में आएंगे, लेकिन एक साथ लगभग पांच लाख श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने से अव्यवस्था हो गई।

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