web page hit counter

मप्र सरकार भी दिल्ली सरकार की राह पर

मप्र सरकार का 9 मार्च को बजट 2022 पेश होगा. सरकार पर न केवल उधारी बढ़ती जा रही है बल्कि राजस्व बढ़ाने की चुनौती के साथ केन्द्र से मिलने वाली क्षतिपूर्ति राशि की समय सीमा भी जून 2022 में खत्म हो रही है.

ऐसे में राजस्व जुटाने की चुनौती के साथ आम आदमी को राहत और व्यापारिक निवेश बढ़ाना भी प्रमुख होगा. क्या उपाय होने चाहिए और सरकार किस ओर रुख कर रही है, यह समझना होगा ताकि उचित अपेक्षाएँ बजट से लगाई जा सकें:

  1. मप्र सरकार की नई आबकारी नीति बजट से पहले ही आ चुकी है, जिसमें दिल्ली सरकार की तरह शराब को प्रोमोट किया जा रहा है. न केवल शराब को सस्ता किया जा रहा है, साथ ही जगह जगह शराब की उपलब्धता होगी जिससे शराब की खपत बढ़ेगी और सरकार को ज्यादा राजस्व प्राप्त होगा.
  2. वैश्विक परिस्थितियों को भांपते हुए बिजली और पेट्रोल के दाम बढ़ना भी तय है.
  3. रीयल एस्टेट पर स्टाम्प ड्यूटी मप्र में सभी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक है और सर्किल रेट बढ़ाने की तैयारी भी हो रही है.
  4. रीयल एस्टेट सबसे ज्यादा रोजगार परक क्षेत्र होने के बावजूद आज प्रदेश के सैकड़ों प्रोजेक्ट रेरा परमीशन के कारण भोपाल में अटके पड़े है. प्रशासनिक लेट लतीफी और लाल फीताशाही पर सामंजस्य बैठाना एक जरुरी कदम होगा.
  5. व्यापारिक वृद्धि के लिए विभिन्न प्रस्तावित कलस्टर का क्रियान्वयन आज तक नहीं हो पाया है.
  6. केन्द्रीय योजनाओं से आधारभूत संरचना का विकास प्रदेश सरकार के जिम्मे है जिसका समयानुसार क्रियान्वयन आज सबसे बड़ी जरुरत है.
  7. किसानों की ऋण माफ़ी पर सरकार क्या कदम उठायेगी खासकर पुराने किए गए वादे कैसे पूरे होंगे. ऐसे ही प्रदेश के सरकारी मुलाजिमों को वेतन बढ़ोत्तरी और ऐरियर्स को भी पूरा करना होगा.
  8. मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के अन्तर्गत युवाओं को व्यापार और स्टार्ट अप के लिए आसानी से ऋण उपलब्ध करवाना एवं ब्याज सब्सिडी देना ताकि रोजगार बढ़े, इसके लिए ठोस योजना और प्रावधान बनाने होंगे जिससे धरातल पर परिणाम परिलक्षित हो सकें.
  9. युक्रेन समस्या ने इस बात को बड़े साफ तौर पर इंगित किया कि मेडिकल कालेज की कमी और पढाई का मंहगा होना डाक्टरों की कमी दर्शाता है और अच्छी एवं सस्ती मेडिकल सुविधा आज भी कोसो दूर है. तो क्यों न मप्र पहला ऐसा राज्य बनें जहाँ मेडिकल शिक्षा की आसान उपलब्धता हो और देश में एक उदाहरण बनें.
  10. अच्छी और सस्ती स्कूली शिक्षा आज मध्यम वर्ग की सबसे बड़ी जरूरत है और यदि प्रदेश सरकार शराब के मामले में दिल्ली सरकार जैसी नीति बना रही है तो स्कूली शिक्षा क्षेत्र में भी दिल्ली सरकार से सीखते हुए प्रावधान करने होंगे.

साफ है उपरोक्त कदमों और क्षेत्रों में प्रावधान और नीतियां बनाकर एक मजबूत बजट पेश किया जा सकता है.

लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल

Shares