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खेती की कमाई कब होती है आयकर मुक्त?

ज्यादातर लोगों के मन में आज भी यह धारणा है कि खेती की जमीन पर की गई हर प्रकार की गतिविधियां, उद्योग, धंधा, आदि खेती की श्रेणी में आते है और करमुक्त होतें है. खासकर डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री फार्मिंग और व्यावसायिक पौधों को बेचना, तो लोग खेती ही मानते हैं.

इस धारणा को हमें ठीक करना होगा क्योंकि आयकर प्रावधानों में धारा 2 के अंतर्गत साफ़ कहा गया है कि खेती को मान्यता तभी मिलेगी जब कृषि भूमि पर खेती का कार्य जैसे खुदाई, जुताई, बुवाई, बीजारोपण, आदि गतिविधियों द्वारा फसल, फल, सब्ज़ी, पौधे, आदि उगाए गए हो. उगाए गए उत्पाद को बिना किसी प्रसंस्करण के बेचने से हुई आय खेती की आय होगी और करमुक्त होगी. इसी तरह ऐसी गतिविधियों वाली भूमि को ठेके या किराये पर देने से हुई आमदनी भी करमुक्त होगी.

कृषि भूमि बेचने से हुई आय भी करमुक्त होती है क्योंकि कृषि भूमि को आयकर के अन्तर्गत केपिटल असेट या प्रापर्टी नहीं माना जाता. लेकिन इसके लिए दो शर्तों का पूरा होना जरूरी है-

पहली किसी स्थानीय नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में भूमि नहीं होना चाहिए एवं निम्नलिखित दूरी होनी चाहिए तथा दूसरी गांव की आबादी १०,००० से कम होना चाहिए. दूरी के नियम इस प्रकार है:

  • 10,000 और 1 लाख के बीच आबादी वाले नगरपालिका से भूमि कम से कम दो किलोमीटर दूर होनी चाहिए।
  • 1 से 10 लाख के बीच आबादी वाले नगरपालिका से भूमि कम से कम छह किलोमीटर दूर होनी चाहिए।
  • 10 लाख से अधिक की आबादी के साथ भूमि नगरपालिका से कम से कम आठ किलोमीटर दूर होनी चाहिए।

दूरी हवाई दूरी के आधार पर तय की जाती है.

इन प्रावधानों को हमें ध्यान रखना होगा तभी कृषि/ खेती की आय करमुक्त कहलायेगी अन्यथा यह पूरी आय कर योग्य होगी. इसी तरह खेती के उत्पाद को प्रसंस्करण के बाद बेचना, अपने आप उगे पेड़ पौधों और जड़ीबूटी को तोड़कर या काटकर बेचना, पशुपालन, डेयरी फार्मिंग, पोल्ट्री फार्मिंग, गुड़ बनाना, चीनी बनाना जैसी गतिविधियां कर योग्य होंगी.

आयकर कानून की धारा 10(1) के तहत खेती से होने वाली कमाई करमुक्त होती है। खेती में फायदा भी होता है और नुकसान भी काफी होता है, क्योंकि अधिकतर किसान बारिश पर निर्भर होते हैं। ऐसे में खेती से होने वाली कमाई अभी तक करमुक्त रखी गई है।

अगर खेती की जमीन पर कोई घर बना है, जिसमें कोई किसान रहता है, उसे स्टोर या फार्म हाउस की तरह इस्तेमाल करता है तो भी उस जमीन से हुई आय को भी करमुक्त कृषि आय की श्रेणी में ही रखा जाता है.

बड़े किसान जिनके व्यक्तिगत नाम पर 20 एकड़ से ज्यादा की कृषि भूमि है, उन पर एक मिनिमम स्लेब 5 % से आयकर लगाना एक अच्छा कदम हो सकता है क्योंकि ऐसा करने से वे लोग जो लाखों करोड़ों में अपनी कृषि आय बताते हैं और न केवल आयकर बचाते है बल्कि काले धन को सफेद करने का खेल करते हैं- वे भी कर दायरे में होंगे. इससे सरकार को राजस्व भी प्राप्त होगा और कृषि के नाम पर हो रहे काले धन को पकड़ने में मदद भी मिलेगी.

लेखक एवं विचारक: सीए अनिल अग्रवाल जबलपुर

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