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प्रॉपर्टी :ठगी से बचने के लिए टाइटल डीड, एग्रीमेंट, NOC और लेआउट प्लान देखें; जानिए क्या-क्या सावधानी बरतें

प्रॉपर्टी खरीदते समय जरा सी असावधानी परेशानी में डाल सकती है। ग्वालियर-चंबल अंचल में तो 20% हत्याओं की वजह प्रॉपर्टी मानी जाती है। किस तरह कुछ दस्तावेज की जांच कर खुद को परेशान होने से बचा सकते हैं। कोई मकान, जमीन या अन्य प्रॉपर्टी खरीदते समय क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए, जानिए सबकुछ…

हर स्टेट के अलग-अलग नियम-कानून
आप जहां संपत्ति खरीदने जा रहे हैं, वहां के नियम-कानून के बारे में जानकारी जरूर जुटा लें। कई राज्यों के कानून अलग होते हैं। हाउसिंग सोसाइटियों के अलग नियम होते हैं। सोसाइटियों के मकानों में उनके बायलॉज की कॉपी जरूर देखनी चाहिए और NOC लेनी चाहिए।

संबंधित एजेंसी से अनुमति ली गई है या नहीं?
फ्री होल्ड या लीज होल्ड यानी जमीन किसी चैरिटेबल ट्रस्ट, सरकारी संस्था या एजेंसी के नाम पर है। ऐसे में बिल्डर को किसी भी निर्माण के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। ध्यान रखें कि बिल्डर ने इसके लिए नियम व शर्तें पूरी की हैं या नहीं। अनुमति पत्र और उस पर लगे सील सिक्के जरूर देखने चाहिए। वकील से जांच भी करानी चाहिए।

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले NOC देखना अहम

  • सोसाइटी शेयर सर्टिफिकेट देती है। इससे प्रॉपर्टी बेचने वाले की मेंबरशिप का भी पता चल जाता है। सर्टिफिकेट नहीं होने पर प्रॉपर्टी खरीदना सही नहीं होगा।
  • प्रॉपर्टी खरीदने में NOC काफी अहम होती है। NOC यह भी बताती है कि प्रॉपर्टी सेलर डिफॉल्टर तो नहीं है।

लैंड यूज में बदलाव

कई बार कृषि जमीन का यूज बदलकर उसे गैर कृषि इस्तेमाल के लिए कर दिया जाता है। अगर जमीन इस तरह की है, तो तहसीलदार या अन्य संबंधित अधिकारी के यहां फीस के साथ आवेदन कर एंडोर्समेंट ऑर्डर हासिल करें।

प्रॉपर्टी खरीदते समय जरा सी असावधानी परेशानी में डाल सकती है। ग्वालियर-चंबल अंचल में तो 20% हत्याओं की वजह प्रॉपर्टी मानी जाती है। किस तरह कुछ दस्तावेज की जांच कर खुद को परेशान होने से बचा सकते हैं। कोई मकान, जमीन या अन्य प्रॉपर्टी खरीदते समय क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए, जानिए सबकुछ…

हर स्टेट के अलग-अलग नियम-कानून
आप जहां संपत्ति खरीदने जा रहे हैं, वहां के नियम-कानून के बारे में जानकारी जरूर जुटा लें। कई राज्यों के कानून अलग होते हैं। हाउसिंग सोसाइटियों के अलग नियम होते हैं। सोसाइटियों के मकानों में उनके बायलॉज की कॉपी जरूर देखनी चाहिए और NOC लेनी चाहिए।

संबंधित एजेंसी से अनुमति ली गई है या नहीं?
फ्री होल्ड या लीज होल्ड यानी जमीन किसी चैरिटेबल ट्रस्ट, सरकारी संस्था या एजेंसी के नाम पर है। ऐसे में बिल्डर को किसी भी निर्माण के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। ध्यान रखें कि बिल्डर ने इसके लिए नियम व शर्तें पूरी की हैं या नहीं। अनुमति पत्र और उस पर लगे सील सिक्के जरूर देखने चाहिए। वकील से जांच भी करानी चाहिए।

प्रॉपर्टी खरीदने से पहले NOC देखना अहम

  • सोसाइटी शेयर सर्टिफिकेट देती है। इससे प्रॉपर्टी बेचने वाले की मेंबरशिप का भी पता चल जाता है। सर्टिफिकेट नहीं होने पर प्रॉपर्टी खरीदना सही नहीं होगा।
  • प्रॉपर्टी खरीदने में NOC काफी अहम होती है। NOC यह भी बताती है कि प्रॉपर्टी सेलर डिफॉल्टर तो नहीं है।

लैंड यूज में बदलाव

कई बार कृषि जमीन का यूज बदलकर उसे गैर कृषि इस्तेमाल के लिए कर दिया जाता है। अगर जमीन इस तरह की है, तो तहसीलदार या अन्य संबंधित अधिकारी के यहां फीस के साथ आवेदन कर एंडोर्समेंट ऑर्डर हासिल करें।

प्रॉपर्टी एलर्ट -अगर बिक्रेता पैसा नगद मांग रहा है तो समझें की कुछ गड़बड़ है ।

  • संपति गिरवी हो या उस पर केस चल रहा हो ।
  • संपत्ति के मुल दस्तावेज मौजूद न हो , दस्तावेजो पर हस्ताक्षर मैं फर्क दिखे ।
  • दस्तावेज सादे कागज पर हो ,सौदे के समय बिक्रेता उपस्थित न हो ।
  • संपत्ति कर , बिजली बिल , सोसाएटी मेंटेनेंस ,पानी का बिल रुका हो ।
  • संपत्ति पर किसी और का कब्जा हो ।

भूमि रिकॉर्ड की जानकारी

  • खेती की जमीन हो या फिर कॉमर्शियल प्लॉट, खरीदने के पहले दस्तावेजों को जांच लें। खेती की जमीन के दस्तावेजों की जानकारी राजस्व विभाग से मिल जाएगी। जमीन के वर्तमान खसरा नंबर से जमीन के पुराने से लेकर आज तक के रिकॉर्ड की फोटोकॉपी तहसील ऑफिस और जिला रिकॉर्ड रूम से प्राप्त की जा सकती है। अब तो ई-कॉपी मिल जाती है। वहीं, कॉमर्शियल प्लॉट के पेपरों की जानकारी लोकल अथॉरिटी से मिल जाएगी।
  • अगर आप अपार्टमेंट या फ्लैट खरीद रहे हैं, तो नगर निगम या पालिका द्वारा दी गई बिल्डिंग परमिशन की मंजूरी की जानकारी होना आवश्यक है। अप्रूव्ड प्लान सर्टिफिकेट में सही तरीके से बिल्डिंग का निर्माण किया गया है या नहीं, इसकी जानकारी होती है।

शहर में दस्तावेजों की जांच

  • शहरी इलाकों में जमीन का रेगुलेशन जोन वार किया जाता है। लोकल विकास प्राधिकरण में जाकर उसके जोनल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करें। यह सुनिश्चित करें कि जिस प्रॉपर्टी को आप खरीदने जा रहे हैं, वह रिहायशी जोन में है।
  • अगर प्रॉपर्टी कॉमर्शियल या इंडस्ट्रियल जोन में है, तो उसमें निवेश बिल्कुल न करें क्योंकि ऐसे इलाकों में रेसिडेंशियल इमारत बनाना अवैध है।

पुलिस को विवेचना में लगता है समय

प्रॉपर्टी के विवाद में एफआईआर करने में जांच में पुलिस का काफी समय व्यर्थ होता है। अलग-अलग विभागों से दस्तावेज निकालकर जांच करनी पड़ती है। ज्यादातर अपराध की जड़ प्रॉपर्टी होती है। लोग प्रॉपर्टी खरीदते समय कुछ सावधानियां बरतें, तो एफआईआर तक की नौबत नहीं आएगी।

– विजय सिंह भदौरिया, सीएसपी

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